
शेयर बाजार में हालिया गिरावट ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। सेंसेक्स में 1500 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी 350 अंकों से अधिक गिर गया। यह गिरावट कई कारकों के कारण हुई, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता शामिल हैं।
गिरावट के प्रमुख कारण:
- ट्रम्प का टैरिफ: अमेरिका ने भारत जैसे देशों से आयात पर 100% से अधिक टैरिफ वसूलने की नीति के जवाब में अमेरिका भी ऐसा ही करेगा, जिसका असर भारतीय ऑटोमोबाइल, फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ सकता है।
- FII की बिकवाली: विदेशी निवेशक पिछले कुछ समय से भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा है।
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: अमेरिकी GDP के 2025 की पहली तिमाही में 2.8% तक गिरने के अनुमान ने वैश्विक मंदी की आशंका को बल दिया है, जिससे निवेशकों का भरोसा कम हुआ है।
गिरावट का प्रभाव:
- निवेशकों की चिंता: इस गिरावट ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपनी जमा-पूंजी शेयर बाजार में लगा रहे हैं।
- आम लोगों पर प्रभाव: शेयर बाजार की गिरावट का असर आम लोगों पर भी पड़ रहा है, जिनकी बचत और पूंजी डूब रही है।
- अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: शेयर बाजार की गिरावट का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है, जिससे बाजार की गतिविधियों और गतिशीलता पर असर पड़ सकता है।
सरकार की भूमिका:
- नीतिगत कदम: सरकार को इस गिरावट को सीमित करने के लिए नीतिगत कदम उठाने चाहिए।
- बाजार को स्थिर करना: सरकार को बाजार को स्थिर करने और निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।